Global Warming: इस आर्टिकल में हम आपको बताएं हैं कि ग्लोबल वार्मिंग क्या है (Global Warming kya hai) और ग्लोबल वार्मिंग के क्या तात्पर्य है ग्लोबल वार्मिंग कैसे बनते हैं ग्लोबल वार्मिंग से कैसे बचें सारी जानकारी आपको दिए हैं आप इसे पूरा जरूर पढ़ें
Global Warming: वर्तमान समय में पुरे विश्व की जनसँख्या 8 अरब के ऊपर हो गयी है और हमारे देश की जनसँख्या करीब 1 अरब और 40 करोड़ के ऊपर हो गयी है। बढ़ती हुई जनसँख्या की वजह से ट्रांसपोर्टेशन और उनके डेवलपमेंट में अच्छी खासी बढ़ोत्तरी हुइ है। जनसँख्या बढ़ने की वजह से पुरे विश्व में प्रदुषण का स्तर भी बढ़ा है ,
आसान भाषा में कहें तो जनसँख्या और प्रदुषण एक दूसरे के पूरक होते हैं , जैसे ही एक में बढोत्तररी होगी तो दूसरा अपने आप ही बढ़ेगा। बढ़ते हुए प्रदुषण की वजह से ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) में भी वृद्धि हुई है और यह ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) पुरे विश्व के लिए बहुत ही जानलेवा साबित हो रही है।
क्या आपको पता है की ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) क्या है और इसको प्रभावित करने वाले कारक कौन से हैं , इसकी वजह से जीवों के ऊपर क्या प्रभाव पड़ सकता है , इसको कम करने के लिए क्या तरीके अपनाये जा सकते हैं। आज के इस आर्टिकल में हम आपको ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) से जुड़े हुए सभी सवालों के जवाबों से रूबरू कराएँगे।
ग्लोबल वार्मिंग क्या है | Global Warming kya hai
Global Warming kya hai: वैश्विक स्तर पर मानव क्रियाकलापों के द्वारा विकिरण या ऊष्मा संतुलन में परिवर्तन हो रहा है , जो भू मंडलीय उष्मन तथा उससे उत्पन्न भू मंडलीय पर्यावरण परिवर्तन के रूप में विश्व के सामने समस्या को पैदा कर रहा है।
पूरे सौरमण्डल में पृथ्वी की सतह के पास के वातावरण के औसत तापमान में हुई वैश्विक वृद्धि को ही ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) कहलाती है। वैश्विक तापमान के कारण वैश्विक जलवायु के प्रतिरूप में परिवर्तन आ रहा है। सामान्य तौर पर मानवीय क्रिया कलापों द्व्रारा उत्सर्जित ग्रीन हाउस गैसों में वृद्धि को वैश्विक तपन कहते हैं।
ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) का अर्थ
ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) का अर्थ सामान्य तौर पर पृथ्वी के औसत तापमान में वृद्धि होना है , जिसकी वजह से मौसम में अप्रत्याशित परिवर्तन हो रहा है। इसकी वजह से ही बारिश के मौसमों में बदलाव ,
लगातार घटते हुए ग्लेशियर के दायरे , समुद्र जल स्तर में अचानक से हो रही वृद्धि और जानवरों और वनस्पतियों के ऊपर इसका प्रभाव साफ़ देखने को मिलता है। पिछले 100 सालों के भीतर पृथ्वी के तापमान में एक सेंटीग्रेड की बढ़ोतरी हुई है।
ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) के कारण
ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) को बहुत से कारण डायरेक्ट और इनडायरेक्ट तरीके से प्रभावित करते हैं , नीचे आपको उन्ही कुछ तरीकों को प्रत्यक्ष तरीके से प्रभावित करते हैं –
1. ग्रीन हॉउस इफेक्ट
ग्रीन हॉउस इफेक्ट को ही हिंदी में हरित गृह प्रभाव के नाम से भी जाना जाता है। ग्रीन हॉउस इफेक्ट एक प्राकृतिक घटना है , परन्तु मौजूदा समय में इसकी मात्रा में अचानक से बढ़ोत्तरी हुई है। जिसकी वजह से पृथ्वी के तापमान में वृद्धि हो रही। बढ़ती हुई ग्रीन हॉउस गैसों की वजह से भी बहुत अधिक तापमान में बढ़ोत्तरी हुई है।
2. जलवाष्प
जलवाष्प , सूर्य के बढ़ते हुए तापमान के कुछ अंश को अवशोषित करके पृथ्वी पर सूर्य के ताप को कम करता है। यह सूर्य के पार्थिव विकिरणों को अवशोषित करके कार्बन डाई ऑक्साइड की भांति ही ग्रीन हॉउस गैस को उत्पन्न करती है।
हालाँकि मनुष्यों को जलवाष्प के उत्सर्जन का प्रत्यक्ष कारण नहीं माना जाता है क्योंकि वो सिर्फ उतनी ही मात्रा को उत्सर्जित करते हैं जिससे की उनकी जरूरतों को आसानी से पूरी किया जा सके।
3. कार्बन डाई ऑक्साइड
कार्बन डाई ऑक्साइड गैस विश्व के तापमान को बढ़ाने में 60 प्रतिशत से अधिक की भागीदारी को निभाता है। कार्बन डाई ऑक्साइड , ग्रीन हाउस गैसों की प्रथम महत्वपूर्ण गैस है ,
कार्बन डाई ऑक्साइड को मानवों के द्वारा सबसे अधिक उत्पन्न किया जाता है। कार्बन डाई ऑक्साइड प्राकृतिक रूप से वायुमंडल में मौजूद रहती है और इसे वायुमंडल महत्वपूर्ण सदस्य माना जाता है।
कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा में किया गया किसी भी प्रकार का परिवर्तन वायुमंडल के साथ साथ ग्रीन हॉउस गैसों के समीकरण को भी प्रभाव करता है।
4. क्लोरो फ्लोरो कार्बन
एयर कंडीशनर और रेफ्रिजरेटर के ज्यादा इस्तेमाल होने की वजह से वातावरण में क्लोरो फ्लोरो कार्बन की मात्रा में अचानक से बढ़ोतरी हुई है , जो वातावरण में वायुमंडलीय ओज़ोन परत को नष्ट कर रही है। ओज़ोन परत ,
सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी में आने से रोकता है और बढ़ती हुई क्लोरो फ्लोरो कार्बन की मात्रा इस रक्षा कवच को धीरे धीरे समाप्त कर रही है।
पहली बार साल 1956 में अंटार्कटिका महाद्वीप में वैज्ञानिकों ने पहली बार ओज़ोन छिद्र को देखा था , अब तक इन आकड़ों में वृद्धि हो चुकी है।
5. वनों का घटता हुआ क्षेत्र
बढ़ती हुई जनसँख्या के लिए डेवलपमेंट करने की वजह से अंधाधुंध तरीकों से वनों की कटाई हो रही है , जिसकी वजह से ग्लोबल वार्मिंग में बढ़ोत्तरी हुई है। पेड़ पौधे ऑक्सीजन का प्रमुख स्त्रोत हैं ,
पेड़ वायुमंडल में उपस्थित कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा को अवशोषित करके ऑक्सीजन छोड़ते हैं। लगातार हो रही पेड़ों की कटाई की वजह से वायुमंडल में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा में इजाफा हुआ है , जिसकी वजह से प्रदुषण के साथ साथ तापमान में भी अप्रत्याशित तरीकों के वृद्धि हुई है।
6. ट्रांसपोर्टेशन
बढ़ती हुई आबादी जब भी अपने आवागमन के लिए किसी भी साधन का इस्तेमाल करते हैं तो उससे निकने वाली हानिकारक गैसें पर्यावरण के तापमान को डाइरेक्ट प्रभावित करते हैं।
ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) के प्रभाव
वनों के घटते हुए क्षेत्रफल की वजह से जहाँ एक तरफ कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा में बढ़ोतरी हुई है तो वहीं दूसरी ओर ऑक्सीज़न की मात्रा में कमी देखने को मिल रही है ,
जिसके परिणाम स्वरूप तापमान में वृद्धि हुई है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से पृथ्वी के अंदर बहुत से अप्रत्याशित बदलाव हुए हैं , नीचे हम आपको ग्लोबल वार्मिंग के उन प्रभावों के बारे में बताएँगे जिनसे हमारे वातावरण को नुकसान हुआ है –
1. बर्फ का पिघलना
जमीन के अंदर तापमान के बढ़ने से इसका प्रभाव बर्फ के पिघलने के रूप में भी आ रहा है। जब पृथ्वी का तापमान ऊपर की ओर जाने लगता है तो ग्लेशियर में जमा बर्फ पिघलने लगती है ,
पृथ्वी के ध्रुवों पर जमा बर्फ जब पिघलने लगती है तो इसका प्रभाव पर्यावरण और जीवों पर भी पड़ने लगती है। विश्व के कई क्षेत्रों में अभी से ही बर्फ पिघलने की क्रिया प्रारम्भ हो चुकी है।
हमारा हिमालय पर्वत भी इसके प्रभाव से नहीं बच पाया है , जब हिमालय का ग्लेशियर पिघलने लगेगी तो सारा मीठा जल नदियों के माध्यम से समुद्र की ओर चला जायेगा और पीने लायक पानी नहीं बच पायेगा। जब पानी की मात्रा में लवणों की मात्रा हो जाएगी तो ोुरा विश्व तरह तरह की बिमारियों से ग्रसित हो जायेगा।
2. समुद्र तल का ऊपर उठना
लगातार घटते हुए पीने के पानी का जलस्तर और घटते हुए हिम ग्लेशियर का क्षेत्र इस बात का प्रमुख कारण है। जब ग्लेशियर पिघल के नदियों के माध्यम से समुद्र में मिल जाते हैं
इसके जल स्तर में वृद्धि होती है। वैज्ञानिकों के अनुसार साल 1993 से लेकर 2003 के बीच समुद्र के जल स्तर में 3 मिली मीटर की बढ़त को देखा गया है। अगर यह रफ़्तार इसी प्रकार से बरक़रार रही तो समुद्र के जल स्तर में 2100 तक करीब 45 मिली मीटर की बढ़त हो जाएगी।
3. महासागरीय धाराओं में परिवर्तन
लगातार हो रही तापमान में वृद्धि महासागरों की धाराओं के लिए भीं जिम्मेदार होता है। जब समुद्र के जल स्तर में बढ़ोतरी होती है तो मसागरीय धाराएं भी अपने मूल रास्ते को छोड़कर एक नया रास्ता अपनाती है जिससे की पर्यावरण में असंतुलन पैदा हो जाता है।
4. वर्षा के प्रारूप में परिवर्तन
लगातर मौसम में बदलाव होने की वजह से वर्षा के प्रारूप में परिवर्तन देखने को मिल रहा है।
ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) से होने वाले नुकसान
नीचे आपको ग्लोबल वार्मिंग से हो चुके और होने वाले नुकसान को बताया गया है –
1. किनारों की खेती के लिए उपलब्ध जमीन धीरे धीरे बर्बाद हो जाएगी।
2. पीने लायक साफ पानी धीरे धीरे समाप्त हो जायेगा।
3. कृषि उत्पादन में भी कमी आएगी जिसकी वजह से भुखमरी जैसे हालात होने की सम्भावना संभव है।
4. जलाशयों के किनारे रहने वाले आबादी क्षेत्रों को विस्थापन का सामना करना पद सकता है जिसकी वजह से आर्थिक और सामाजिक नुक्सान होने की शंका है।
5. पृथ्वी की सुंदरता ख़तम हो जाएगी और धीरे धीरे पर्यावरण की स्थिति में इसका बहुत ही भयानक प्रभाव पड़ेगा।
ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) को काम करने के उपाय
1. उद्योगों में इस्तेमाल की जाने वाली बड़ी चिमनियों को रोक कर इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।
2. वाहनों से निकलने वाले धुंए को कम करना होगा और इसकी जगह वाहनों में सीएनजी का इस्तेमाल किया जाना चाहिए या फिर इलेक्ट्रिक साधनों का भी इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
3. अक्षय ऊर्जा पर ध्यान देना चाहीये , कोयले और भी प्रेट्रोलियम से जुड़े हुए उत्पादों को कम इस्तेमाल करके इसकी जगह पवन चक्की या सोलर एनर्जी का इस्तेमाल करना एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है।
4. ग्लोबल वर्मिन को कम करने के लिए हमें ऐसे प्रोडक्ट जो क्लोरो फ्लोरो कार्बन या कार्बन डाई ऑक्साइड जैसे हानिकारक गैसों को जन्म देते हैं उनका प्रयोग कम से कम करना चाहिए। इलेक्ट्रिक उपकरणों जैसे – रेफ्रिजरेटर और एयर कंडीशनर।
निष्कर्ष
आपको यह आर्टिकल ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) क्या है ? कैसा लगा आप हमें कमेंट के माध्यम से बताइये , इसके साथ ही आप अगला आर्टिकल किस टॉपिक में चाहते हैं वो भी कमेंट से बताइये। हम इसी प्रकार से आपकी जानकारी के लिए उपयोगी आर्टिकल आपके साथ साझा करते रहेंगे। धन्यवाद…
(FAQ) ग्लोबल वार्मिंग क्या है
Q : ग्लोबल वार्मिंग क्या है in Hindi?
Ans : ग्लोबल वार्मिंग सौरमंडल में पृथ्वी की सतह पर वातावरण औसत तापमान में वृद्धि या ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं
Q : ग्लोबल का मतलब क्या होता है?
Ans : विश्वस्तर पर होने वाला
इन्हें भी पढ़ें
- 15+ टॉप – कंप्यूटर कोर्स
- मतदान कैसे करें
- B.Sc नर्सिंग के बाद डॉक्टर कैसे बने
- 15+ टिप्स – मैथ में तेज कैसे बने