बेरोज़गारी क्या है और बेरोज़गारी के प्रकार, परिभाषा | Berojgari Kya hai

Berojgari Kya hai: इस आर्टिकल में हम आपको बताने वाले हैं कि बेरोज़गारी क्या है (Berojgari Kya hai) और बेरोजगारी के प्रकार (Berojgari Ke prakar) और साथ में बेरोजगारी के परिभाषा सारी जानकारी आपको दिए हैं आप इसे पूरा जरूर पढ़ें

किसी भी इंसान को जीवन जीने के लिए  की आवश्यकता होती है रोटी कपडा और मकान। ये सभी चीज़ें तभी पूरी हो सकती हैं जब इंसान के पास अच्छी नौकरी हो। बिना अच्छी नौकरी मौजूदा समय में रहना बहुत कठिनाइयों भरा होता है।

जब कोई पढ़ा लिखा शिक्षित नौजवान नौकरी की तलाश में दर दर भटकता है तो समाज उसे हेय की नजर से देखता है। जिन युवाओं के पास डिग्रियां तो होती हैं पर कोई काम नहीं होता है

उन्ही युवाओं को बेरोज़गार (Berojgari) का दर्जा दे दिया जाता है। आज के इस लेख में हम आपको बेरोज़गारी से जुड़े हुए तमाम पहलुओं को बारीकी से रूबरू कराएँगे।

बेरोज़गारी की परिभाषा 

Berojgari Kya hai: जब कोई भी व्यक्ति सक्रियता के साथ रोजगार की तलाश करता है लेकिन उसे कामयाबी हासिल होने की बजाय हर एक जगह से असफलता ही हासिल होती है तो ऐसी अवस्था को ही बेरोज़गारी का दर्जा प्राप्त है। 

बेरोज़गारी क्या है | Berojgari Kya hai

Berojgari Kya hai: बेरोज़गारी भारतीय अर्थव्यस्था को कड़ी टक्कर दे रहा है। देश के विकाश के लिए बेरोज़गारी मानव संसाधन की हानि साबित हो रही है। 18 से 59 वर्ष आयु वर्ग के लोग जिन्हे सुयोजित ढंग से काम नहीं मिल पाता है

उन्हें बेरोज़गार की श्रेणी में मान लिया जाता है। ऐसे बहुत से लोगों का समूह जो रोज़गार से वांछित हैं ऐसी स्थिति को बेरोज़गारी का नाम दिया जाने लगता है।

बेरोजगारी के प्रकार | Berojgari Ka prakar

बेरोज़गारी को बहुत से वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है नीचे आपको ऐसे ही कुछ प्रकारों के बारे में बताया गया है।

1. ग्रामीण बेरोज़गारी

  ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोज़गारी को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा गया है –

(क). प्रच्छन्न बेरोज़गारी :- जब किसी भी काम में जरुरत से अधिक संख्या में लोग पहुँच कर काम करने लगते हैं तो उनका मुनाफा भी बंट जाता है ऐसी स्थिति में काम जल्दी ही खत्म हो जाता है और लोग फिर काम के लिए भटकने लगते हैं। ऐसा मुख्य रूप से कृषि के काम में होता है।

(ख) मौसमी बेरोज़गारी :- जो भी किसान मौसमी फसलों या फलों और सब्जियों का व्यापार करते हैं , जब उनका सीजन चलता है तो उनके पास काम की कमीं नहीं होती है लेकिन मौसम के जाने के बाद आने वाले समय तक उन्हें फिर से एक बेरोज़गार की तरह रहना पड़ता है।

2. प्रकट बेरोजगारी

यदि कोई भी व्यक्ति अपनी योग्यता के अनुसार काम न मिलने के बाद किसी दूसरे काम को नहीं करता है तो इसे ही प्रकट बेरोज़गारी कहते हैं।

3. संरचनात्मक बेरोज़गारी

यदि देश में उचित संसाधन हों जिनके माध्यम से रोजगार उपलब्ध होता हो ऐसी स्थिति को संरचनात्मक बेरोज़गारी की कैटेगरी में गिना जाता है।

4. चक्रीय बेरोज़गारी

 बहुत से उद्योगों में किसी भी प्रकार के उत्पादन की सीमित समय संरचना होती है , उत्पादन पूरा होने के बाद कुछ समय के लिए जब इंडस्ट्री बंद होती है तो उस स्थिति में वहां के वर्करों को काम नहीं मिलता है ऐसी ही स्थीति को चक्रीय बेरोज़गारी की श्रेणीं में रखा गया है।

5. ऐच्छिक बेरोज़गारी

जो लोग किसी संस्था के द्वारा दिए गए वेतन मान के ऊपर काम करने के लिए राज़ी नहीं होते हैं और अपनी स्वेच्छा से बेरोज़गार रहना पसंद करते हैं तो उन्हें ऐच्छिक बेरोज़गारों की श्रेणीं में रखा जाता है और इस स्थिति को ऐच्छिक बेरोज़गारी कहते हैं।

6. अनैच्छिक बेरोज़गारी

जब कोई व्यक्ति किसी संस्था में दी जाने वाली वेतन मन में ही काम करने के लिए इच्छुक हो किन्तु उसकी योग्यता के अनुसार काम न मिल पता हो तो ऐसी स्थिति को अनैच्छिक बेरोज़गारी की श्रेणीं में रखा गया है।

बेरोज़गारी के कारण

देश के अंदर किसी भी समस्या का उत्पत्ति किसी न किसी सम्बंधित कारक की वजह से ही होती है। ठीक उसी प्रकर देश में बढ़ती हुई बेरोज़गारी भी किन्ही सम्बंधित कारणों से हुई है। नीचे आपको बेरोज़गारी के कुछ कारणों को बताया गया है –

1. विकाश की धीमी गति

भारत एक विकाशशील देश है , हमारे देश में धीरे धीरे विकाश हो रहा है जिसकी वजह से यहाँ पर बेरोज़गारी की दर बहुत ज्यादा है। दुनिया के विकसित देशों में विकास की दर बहुत ज्यादा है जिसकी वजह से वहां पर बेरोज़गारी की दर लगभग न के बराबर है।

2. पिछड़ी हुई कृषि व्यवस्था

हमारे देश में आज भी कृषि पिछड़े हुए परंपरागत तरीके से हो रही है। जिसकी वजह से उत्पादन में भी कमी है और उचित संसाधन न हो पाने की वजह से रोज़गार के अवसर भी कम हैं।

3. कमजोर शिक्षा तकनिकी

हमारे देश की शिक्षा तकनिकी आज भी परंपरा को फॉलो करती है जिसकी वजह से वर्त्तमान समय में जो स्किल रोज़गार दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं उन स्किल्स से भारतीय बहुत दूर हैं।  जिसकी वजह से देश में बेरोज़गारी दर बहुत ज्यादा है। 

4.  जनसँख्या वृद्धि

जनसँख्या वृद्धि पुरे देश में एक स्लो पॉइजन का काम कर रहा है। बढ़ती हुई जनसँख्या और सीमित संस्थानों की वजह से देश में बेरोजगारी का विस्फोट होना तय है।

5.  छोटे उद्द्योगों का पतन

किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में देश के लघु और कुटीर उद्योग बहुत अहम् भूमिका निभाते हैं। लेकिन समय के साथ बढ़ते हुए रोबोटिक्स के जादू ने लघु उद्द्योगों को तो लगभग समाप्त ही कर दिया है।

जब तक देश में वास्तु विनिमय प्रणाली लागु थी तब तक देश में बेरोज़गारी नहीं थी लेकिन इस प्रणाली के खत्म होते ही बेरोज़गारी ने भयानक रूप धारण कर लिया है।

बेरोज़गारी को दूर करने के उपाय

ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका समाधान उपलब्ध न हो ऐसे में बेरोज़गारी को हमारे देश से दूर करने के लिए कुछ उपाय नीचे बताये जा रहे हैं –

1. शिक्षा में सुधार

देश की सरकार को बेरोज़गारी को दूर भगाने के लिए हमारी शिक्षा प्रणाली में सुधर करना होगा। उन्हें छात्रों को परम्परागत शिक्षा के साथ साथ तकनिकी शिक्षा में भी जोर देना होगा। जिसकी वजह से लोगों को रोजगार में सहयता मिल सके।

2. आद्यौगीकरण में वृद्धि

बेरोज़गारी को हटाने के लिए उद्योग के क्षेत्र में वृद्धि होना आवश्यक है। जब उद्योग में वृद्धि होगी तो रोजगार के अवसर खुद ब खुद खुलेंगे। शासन को नए उद्योगों में वृद्धि के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए।

3. जनसँख्या नियंत्रण

अगर देश की जनसँख्या में नियंत्रण हो जाये देश में मौजूद आधी समस्याओं का निदान स्वतः ही जायेगा। जनसँख्या नियंत्रण के लिए शासन को सेक्स एजुकेशन के लिए नई मुहीम को लागु करना होगा।

4. छोटे उद्योगों को बढ़ावा दें

देश की अर्थव्यवस्था और बेरोज़गारी में सुधर लाने के लिए छोटे उद्द्योगों को बढ़ावा देकर एक तीर से दो निशाने लगा सकते हैं। पहली अर्थव्यवस्था में सुधार होगा और दूसरी बेरोज़गारी में कमी आएगी।

बेरोजगारी के दुष्परिणाम

1. बेरोज़गारी से व्यक्ति का मनोबल टूट जाता है।

2. बेरोज़गारी के कारन परिवार में माहौल ख़राब हो जाता है।

3. बेरोज़गार की समाज में कोई इज्जत नहीं होती है।

4. बेरोज़गार व्यक्ति को नौकरी ढूढ़ने में में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

बेरोज़गारी के आर्थिक परिणाम

1. पूंजीवादी अर्थव्यवस्था को बहुत नुक्सान होता है।

2. निम्न उत्पादकता की समस्याओं से सामना करना पड़ता है।

3. आर्थिक वृद्धि दर में लगातार कमीं होती है।

4. मानव संसाधन का पूर्ण इस्तेमाल नहीं हो सकता है।

5. वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में लगातार कमीं होती है।

सरकारों के द्वारा बेरोज़गारी को दूर भगाने के लिए निम्न योजनाएं लागु की गयी हैं

1. नरेगा योजना

2. प्रधानमंत्री श्रमधन मानदेय योजना

3. पंडित दीनदयाल उपाध्याय श्रमेव जयते योजना।

4. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना

5. गरीब कल्याण रोजगार योजना

इन योजनाओं के अतिरिक्त भी सरकारों के द्वारा समय समय पर योजनाएं लागु होती रहती हैं।

निष्कर्ष

हमें उम्मीद है की बेरोज़गारी के ऊपर हमारा यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। आप अगला आर्टिकल किस टॉपिक में चाहते हैं हमें कमेंट के माध्यम से बताइये। हम इसी प्रकार से आपकी जानकारी के लिए उपयोगी आर्टिकल आपके साथ साझा करते रहेंगे।

धन्यवाद………

Berojgari Kya hai (FAQ) in hindi

Q : बेरोजगारी किसे कहते हैं?

Ans : बेरोजगारी वह होता है जो व्यक्ति किसी भी काम के लिए वह चाहता है कि हमें यह काम नहीं करना है और बेरोजगारी काम नहीं मिलने पर भी उसे भी बेरोजगारी कहते हैं

Q : बेरोजगारी क्या है इसके क्या कारण है?

Ans : बेरोज़गारी भारतीय अर्थव्यस्था को कड़ी टक्कर दे रहा है। देश के विकाश के लिए बेरोज़गारी मानव संसाधन की हानि साबित हो रही है। 18 से 59 वर्ष आयु वर्ग के लोग जिन्हे सुयोजित ढंग से काम नहीं मिल पाता है
उन्हें बेरोज़गार की श्रेणी में मान लिया जाता है। ऐसे बहुत से लोगों का समूह जो रोज़गार से वांछित हैं ऐसी स्थिति को बेरोज़गारी का नाम दिया जाने लगता है।

Q : बेरोजगारी क्या है और उसके प्रकार?

Ans : बेरोज़गारी भारतीय अर्थव्यस्था को कड़ी टक्कर दे रहा है। देश के विकाश के लिए बेरोज़गारी मानव संसाधन की हानि साबित हो रही है। 18 से 59 वर्ष आयु वर्ग के लोग जिन्हे सुयोजित ढंग से काम नहीं मिल पाता है
उन्हें बेरोज़गार की श्रेणी में मान लिया जाता है। ऐसे बहुत से लोगों का समूह जो रोज़गार से वांछित हैं ऐसी स्थिति को बेरोज़गारी का नाम दिया जाने लगता है।

इन्हें भी पढ़ें

Leave a Reply